*????जय श्री कृष्णा????* *विचारणीय लेख 85/12-1-19* मैने देखा है कि कई व्यक्ति निर्णय क्षमता में बड़े कमजोर होते हैं। किसी बात के बारे में निर्णय बहुत ही विलम्ब से करते है जिसका नतीजा यह होता है कि वे अपने हाथ से मौका गवां देते हैं और फिर पछतावा करते हैं। मुझे याद है जब मैं बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा था। मेरी शादी भी हो गई और तीन बच्चे भी हो गए। मैं बोझ नही बनना चाहता था कुछ कमाई करके माँ बाप को देंना चाहता था। 1994 में बुधवाडा के मदन जी वैष्णव गंगासागर यात्रा का पर्चा मुझे दे गए और यात्रा में चलने को कहा। ज्योही पर्चा मेरे हाथ मे आया तो मेरे दिमाग मे *नवाचार* की बात सूझी। मैने सोचा क्यों न मैं ही यात्रा लगा लूं। फिर विचार आया कि यात्रा कराने का अनुभव तो कुछ है नही फिर सफल यात्रा कैसे कराएंगे। मात्र दो घण्टे की दिमागी उठापटक के बाद मैने 28 दिन की गंगासागर यात्रा चाय नाश्ता भोजन आवास टोलटैक्स यात्रीकर सहित 2851/- में यात्रा के पर्चे छापने का आर्डर दे दिया। हम पतिपत्नी दोनों रोजाना राधसर्वेश्वर मंदिर जाते थे वहां यात्रा की बात चलाई और मात्र 3 दिन में ही सवारी पूर्ण हो गई। *यहाँ विचारणीय बात यह है कि* कोई भी नया कार्य करने के उपरांत सफल होने पर बहुत ही खुशी का आभास होता है। अगर असफल होते हैं तो जीवन मे एक अनुभव की प्राप्ति होती है जो जरूरी भी होती है। मैने 52 सवारी पूरी भरकर और खाद्य सामग्री और हलवाई को साथ लेकर वह 28 दिन की सफल यात्रा की। नाम मात्र भी अनुभव न होने पर भी *????जय श्रीकृष्णा????* की कृपा से यात्रा का सफल होना *मेरे नवाचार* को प्रोत्साहित कर गया। मैने उस वक्त यात्रा से पचास हजार रुपये कमाए जो माँ के हाथों में सौपकर मुझे बहुत खुशी हुई। *आप जो भी कार्य करना चाहते हो उसका निर्णय जल्दी ले तो आप जीत में रहेंगे।* *????दिनेश कुमार वैष्णव????* *वरिष्ठ सहायक CBEO अराई अजमेर 9785057392* (लेख पढ़कर *आत्ममंथन* करे और पसन्द आये तो *शेयर जरूर करे*)
Uploded : 06:36 AM 12 Jan 2019