भारत के इतिहास में पहली बार निंबार्क वैष्णव संप्रदाय के बैरागी संत से राजा बने, निर्मोही अखाड़े के महंत और छुई खदान (छत्तीसगढ़) के प्रथम बैरागी राजा महंत रूप दास के वंशज, महेंद्र राजा घनश्याम किशोर दास का 66 वर्ष की आयु में पिछले सप्ताह परलोक गमन हो गया है। छुईखदान रियासत पर लगभग 200 वर्षों तक निंबार्क संप्रदाय व निर्मोही अखाड़े के वैष्णव महंतों का शासन रहा है। सन 1708 में पानीपत से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सेहरी खांडा नामक गांव में महंत किशोर दास के बैरागी ठाकुरद्वारे पर एक 10 वर्ष के बालक ने वैष्णव बैरागी की दीक्षा ली। इस बालक का जन्म उदयपुर के राजपूत राजघराने में हुआ था लेकिन कृष्ण भक्ति की लगन उन्हें बैरागी संतो तक ले आई। सेहरी खांडा की इसी वैष्णव गद्दी पर 1709 में, इस बालक को महा योद्धा वीर बंदा बैरागी से युद्ध विद्या का प्रशिक्षण मिला और वे नागपुर में मराठा सेना में शामिल हो गए । 1750 में कोड़का के जमीदार को युद्ध में हराकर महंत रूप दास छुईखदान रियासत के राजा बने। छुईखदान के वैष्णव महंत राजाओं ने लगभग 200 वर्षों तक लोक कल्याण के अनेक कार्य किए। छत्तीसगढ़ में सबसे पहले छुई खदान में बिजली लाने का श्रेय भी इन वैष्णव राजाओं को जाता है। बॉक्स छुई खदान के वैष्णव राजाओं का शासन क्रम महंत रूपदास महंत तुलसीदास महंत बालमुकुंद दास महंत लक्ष्मण दास महंत श्याम किशोर दास महंत राधावल्लभ किशोर दास महंत भूधर किशोर दास महंत ऋतु पर किशोर दास( अंतिम राजा) महंत घनश्याम दास( सांकेतिक) महंत गिरिराज किशोर दास (सांकेतिक) महंत घनश्याम किशोर दास के पिता और छुई खदान के आखिरी राजा महंत ऋतु पर किशोर दास उन राजाओ में से थे जिन्होंने सर्वप्रथम अपनी रियासत को स्वतंत्र भारत संघ में शामिल होने के लिए सहमति दी। छुई खदान के वैष्णव महंत राजाओं ने राजा बनने के बाद भी धर्मगुरु होने का अपना चरित्र कायम रखा और पूरी रियासत में कृष्ण भक्ति का बिगुल बजाया ।आज भी रियासत के सभी गांव में पारस्परिक अभिवादन के लिए "जय गोपाल" शब्दों का प्रयोग होता है । स्वतंत्रता के बाद आखिरी राजा महंत ऋतु परण किशोर दास, दो बार मध्य प्रदेश विधानसभा के विधायक भी रहे। महंत ऋतु परण किशोर दास के परलोक गमन पर उनके पुत्र महंत घनश्याम किशोर दास स्थानीय परंपराओं के अनुसार सांकेतिक राजा बने और महंत की पदवी पर गद्दीनशीन हुए। वे कई बार नगर पालिका के अध्यक्ष रहे। महंत घनश्याम किशोर दास वैष्णव संप्रदाय के संतो एवं बैरागी अखाड़ों में जीवनभर सक्रिय रहे । निंबार्क संप्रदाय के राजस्थान के सलेमाबाद में स्थित मुख्यालय से महंत घनश्याम किशोर दास का गहरा संबंध रहा। श्रीजी महाराज का आशीर्वाद उन्हें हमेशा मिलता रहा।
Uploded : 07:18 AM 08 Aug 2018