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  • त्रिवेणी धाम के पूज्य संत नारायण दासजी महाराज का देवलोकगमन

    त्रिवेणी धाम के महाराज पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित नारायण दास महाराज को शनिवार दिनांक 17नबंवर को देवलोकगमन हो गया। 94 साल की उम्र में उनके निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड गई। नारायण दास महाराज काफी दिन से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा रखा था। उनकी तबीयत दिनोंदिन बिगडऩे व सुधार की गुंजाइश नहीं रहने पर शनिवार सुबह उन्हें अस्पताल से त्रिवेणी धाम लाया गया। जहां उनकी हालत अपराह्न तक स्थिर बनी हुई थी। इसके बाद निधन हो गया। महाराज के उपचार के लिए त्रिवेणी धाम स्थित मंदिर परिसर में अस्थाई आईसीयू बनाया गया जिस पर महाराज वेंटीलेटर पर थे। डॉक्टरों की टीम महाराज के उपचार में लगी थी। जैसे ही सुबह महाराज को त्रिवेणी धाम लाया गया तो हजारों श्रद्धालु महाराज के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। *नारायण दासजी महाराज का जीवन परिचय* नारायण दास जी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1984 यानि 1927 ईस्वी को शाहपुरा तहसील के चिमनपुरा ग्राम में गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम श्री रामदयाल जी शर्मा तथा माता का नाम श्रीमती भूरी बाई था। कहा जाता है कि बचपन में ही इनके माता पिता ने इनकी बीमारी की वजह से इन्हें भगवानदास महाराज के पास छोड़ दिया था। नारायणदास जी ने बाल्यावस्था में ही संन्यास ले लिया था। इन्होंने अपने गुरुजी की दिन-रात सेवा कर उनसे शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की तथा समाज सेवा में लग गए। इनके मुख से हमेशा सीता-राम का जाप रहता था। जिन नारायणदास जी को बचपन में बीमारी की वजह से गुरु शरण में छोड़ा गया था उन्होंने वैराग्य धारण कर ऐसे-ऐसे कार्य किए की आज ये लाखों लोगों के पथ प्रदर्शक थे। इनके आश्रम में रोजाना हजारों की तादाद में श्रद्धालु अपने मार्गदर्शन तथा आशीर्वाद के लिए आते थे। उन्होंने शिक्षा, चिकित्सा, गौ सेवा, समाज सेवा तथा अध्यात्म के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया । इनका हमेशा से शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रहा तथा लोगों को शिक्षित तथा निरोगी रखना इनके जीवन का प्रमुख ध्येय रहा । *नारायण दासजी महाराज के मुख्य रचनात्मक कार्य* - विश्व की प्रथम पक्की निर्मित 108 कुंडों की यज्ञशाला, राजस्थान में करोड़ों की लागत से जयपुर में जगद्गुरू रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना, त्रिवेणी में वेद विद्यालय, अपने गुरू भगवान दास महाराज ने नाम से बाबा भगवानदास राजकीय कृषि महाविद्यालय चिमनपुरा, बालिकाओं के लिए बाबा गंगादास राजकीय पीजी कॉलेज शाहपुरा, अजीतगढ़ में प्रदेश में ग्राम पंचायत स्तर पर पहला 100 बेड का सामान्य अस्पताल , बाबा नारायणदास राजकीय सामान्य चिकित्सालय, बाबा नारायणदास राजकीय संस्कृत प्रवेशिका स्कूल अजीतगढ़, चिमनपुरा,साईवाड़ समेत आसपास के ग्रामीण इलाके में अनेक स्कूल, गौ शालाएं एवं हॉस्पिटल, मध्यप्रदेश के सेंधवा में बड़ा हॉस्पिटल, चिमनपुरा में नारायणदास राजकीय कला कॉलेज , महाराज का जन्म स्थान चिमनपुरा प्रदेश में पहला ऐसा ग्रामीण क्षेत्र है जहां एक साथ दो सरकारी कॉलेज संचालित है। त्रिवेणी धाम में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्वालु एवं संत प्रसादी ग्रहण करते है। यहां बड़ी गौशाला है जिसमें हजारों की संख्या में गाएं हैं। यहां धार्मिक पुस्तक रामायण के दीवार लेखन का बड़ा भवन है जिसको देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्वालु आते हैं। विभिन्न समाजों के सामूहिक विवाह करवाये । रामनाम की बैंक स्थापना की। जिसमें से पुस्तकें दी जाती हैं। राम नाम से भर कर वापस बैंक में जमा होती है। अब तक करोड़ों रामनाम का संग्रह मौजूद है। महाराज अनेक धार्मिक स्थान अयोध्या आदि में श्रृद्धालुओं के विश्राम के लिए धर्मशालाएं बनबाई। देश के अनेक स्थानों पर यज्ञ एवं भंडारे आयोजित करवाये।

    Uploded : 06:57 AM 18 Nov 2018

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